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लालच का सातवां घड़ा: एक प्राचीन भारतीय लोककथा

लालच का सातवां घड़ा: एक प्राचीन भारतीय लोककथा

आज हम आपको “लालच का सातवां घड़ा” कहानी सुनाने जा रहे है। यह एक प्राचीन भारतीय लोक-कथा है, जो हमें यह सिखाती है कि असीमित लालच हमें विनाश की ओर ले जाता है। कहानी एक धनी व्यापारी की है, जो जंगल में सात सोने से भरे घड़े पाता है। अगर आप भी इस कहानी को जानना चाहते है, तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

A scenic view of a small village located in the foothills of a mountain with a bustling marketplace.

बात बहुत-बहुत पुरानी है। भारत के उत्तरी हिस्से में एक धनी व्यापारी रहता था। कई वर्ष पहले उसकी पत्नी का देहान्त हो गया था। उसका घर पहाड़ी पर स्थित होने के कारण वो रोज मैदानी भाग में बसे हुए शहर में नीचे जाता और चीज़ों का लेन-देन करता था।

A merchant walking through dense forests with a distant view of mountains and valleys.

एक दिन वह अपना मन बहलाने के लिए कही और जानें की सोच रहा था। पहाड़ों की वादियों और जंगलों का नज़ारा लेने के लिए निकल पड़ा। घूमते-घूमते दोपहर हो गई थी, अब वो बहुत थक चुका था। अब उसे नींद भी आने लगी थी।

A mysterious, dark cave entrance hidden among rocks and trees.

आराम करने के लिए व्यापारी जगह तलाशनें लगा, कि उसे एक छोटी सी गुफ़ा दिखीं। जिसमें बहुत अंधेरा था, लेकिन इसकी प्रवाह करें बिना वो गुफ़ा के अंदर जाकर सो गया। जब नींद खुली तो उसने पाया कि गुफ़ा में कुछ है।

Seven large, ancient earthen pots arranged in a dark cave, with one pot partially open, revealing gold coins.

गुफ़ा में कुछ और अंदर जानें पे उसे बहुत बड़ा एक मिट्टी का घड़ा दिखाई दिया। वहाँ आस-पास कुछ और भी घड़ें थे। जो कि गिनतीं में पूरे सात घड़ें थे। व्यापारी को आश्चर्य भी हो रहा था और डर भी लग रहा था। क्योंकि कही से ना तो कोई आवाज़ आ रही थी और ना ही उन घड़ों के पास कोई था। बड़ी मुश्किल से डरते-डरते उसने एक घड़ें का ढ़क्कन खोला और चकित रह गया।

उस घड़ें में सोने के सिक्के ही सिक्के थे। फिर एक-एक करके उसने पाँच घड़ों के ढक्कन खोलकर देखें। सभी में सोने के सिक्के भरें थे।

A close-up of a worn-out parchment with a warning written in an ancient script.

छठे घड़ें को खोलने पर उसे एक पुराना सा कागज़ का टुकड़ा मिला। जिसमे लिखा था – “इस सोने के सिक्कों को ढूंढने वाले, सतर्क रहना! यह सारे घड़ें और स्वर्ण तुम्हारें है, लेकिन इस धन को एक श्राप है। इन्हें ले जानें वाला उस श्राप से कभी मुक्त भी नही होगा।”

जिज्ञासा में बड़ी ताक़त होती है, पर लालच उससे भी ज़्यादा शक्तिमान होता है। इतने धन की प्राप्ति के बाद व्यापारी ने समय व्यर्थ नहीं किया।

A bullock cart loaded with heavy pots being driven under the moonlight.

उसने एक बैलगाड़ी की व्यवस्था की और सभी घड़ों को अपने घर पे ले जानें लगा। घड़े बहुत भारी थे। एक बार में वो दो घड़ें ही ले जा सकता था। रात के सन्नाटे में उसने छः घड़ें अपने घर ले जाकर रख दिये। सातवें घड़ें को ले जाना उसके लिए आसान था, क्योकि इस बार बोझ काफ़ी कम था।

घर पहुंच कर व्यापारी ने सोचा पूरे घड़ों के सिक्कों की गिनती कर ली जायें। बारी-बारी उसने छः घड़ों के सिक्कों की गिनती कर ली। सातवें घड़े को खोलने पे उसने पाया कि वो तो आधा ही भरा हुआ है। व्यापारी बहुत दुखी और हताश हुआ। श्राप वाली बात वो भूल चुका था। श्राप की बात कहने वाले उस कागज़ को उसने बेकार समझ कर कब का फेंक दिया था। 

A pot half-filled with gold coins, surrounded by six fully filled pots, with the merchant looking frustrated.
व्यापारी के दिल और दिमाग़ में अब और अधिक लालच पनपनें लगा। उसने सोचा कैसे भी करके इस सातवें घड़ें को भी पूरे धन से भरना है। उसने अधिक से अधिक धन कमाने के लिए एड़ी-चोटी का पूरा ज़ोर लगा दिया। लेकिन सातवें घड़े में चाहें जितना भी धन डालो, वो हमेशा आधा का आधा ही रहता।

सातवें घड़े को भरने के प्रयास में व्यापारी कुछ साल और जिया, फिर एक दिन उसकी मौत हो गई। लेकिन अपने धन का उसे कोई सुख नहीं मिला। क्योंकि वो धन उसके लिए कभी भी पर्याप्त था ही नहीं।

कहानी की शिक्षा:

An abstract representation of a person chasing a mirage, symbolizing endless greed.
क्या उस धनी व्यापारी को अपने जीवन-यापन के लिए सच में इतने धन कि आवश्यकता थीं। धन कमाना ग़लत नहीं है। लेकिन उसका सदुपयोग ना करके सिर्फ़ संचय करतें रहना बहुत ग़लत है। संचय कि भावना से कमाया हुआ सारा धन ना तो ख़ुद के काम आता है और ना ही किसी अच्छे प्रयोजन में लगता है। इससे तो लालच का दायरा बढ़ता है। जैसे इस कहानी में व्यापारी का लालच चर्म सीमा तक पहुंच गया था।

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